Tuesday, June 22, 2010

क्या आप समलैंगिक हैं या कहलाना पसंद करेंगे?

रविवार, १६ नवम्बर २००८
क्या आप समलैंगिक हैं या कहलाना पसंद करेंगे?
आज रविवार रात्रि ९.३० बजे एन०डी०टी०वी० पर ‘दोस्ताना’फिल्म के बहानें से समाचार वाचिका नग्मा और एक अन्य नें बहस चला दी समलैंगिकता पर।न्यूजरूम में सशरीर उपस्थित थे अशोक रावजी अध्यक्ष ‘हमसफर’,जिन्हें विषय विशेषज्ञ बताया जा रहा था और जो बार बार यह बता रहे थे कि समलैंगिकता जन्मजात होती है।टेलीकान्फ्रेंसिंग में पाँच अन्य व्यक्त्ति, अभिनेता समीर सोनी जो मधु भण्डारकर की इसी विषय पर बनीं फिल्म के हीरो रहे थे और समलैंगिक समबन्धों को स्वाभाविक,प्राकृतिक एवं गम्भीर विषय बता रहे थे,के अतिरिक्त जान अब्राहम,अभिषेक बच्चन और ‘दोस्ताना’ के निर्माता निर्देशक तरुण भी चर्चा में शरीक थे और जिनका कहना था कि इस विषय को यह फिल्म ह्युमर के रुप मे प्रस्तुत करती है और उनका उद्देश्य इस विषय पर कोई गंभीर चर्चा चलाना नहीं था।
पाँचवें और अन्तिम व्यक्त्ति थे दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिशनर श्री ककक्ड़ जो यह कहनें का प्रयास कर रहे थे कि समलैंगिकता न केवल अप्राकृतिक एवं भारतीय संस्कृति के विपरीत है,वरन दुनिया में मात्र ७-८ देशों में ही इसकी कानून अनुमति दी गई है और यह भी कि अमेरिका जैसे देश में भी मात्र तीन स्टेट्स में यह कानून वैध करार दिया गया था।श्री ककक्ड़ के अनुसार समलैंगिकता को अनुमति देनें में उत्तराधिकार,सम्पत्ति,विवाह और अपराध सम्बन्धी कानूनों में भी बदलाव लाना पड़ेगा।
श्री ककक्ड़ के संस्कृति विरुद्ध और कानूनी अड़चनों के तर्क पर अशोकजी एवं अभिनेता समीर सोनी जी को गंभीर आपत्ति थी।उनके अनुसार संस्कृति क्या होती है और कानून नहीं हैं तो बनाए जा सकते हैं?उनके अनुसार शास्त्रों एवं पुराणों मे भी वर्णित यह प्राकृतिक एवं जन्मजात प्रवृत्ति है और इस पर गंभीरता,सहानुभूति एवं मानवीय प्रवृत्ति की आवश्यकता मानकर निर्णय किया जाना चाहिये।
जितनें शास्त्र और पुराण मैनें पढ़े हैं मुझे नहीं याद पड़्ता कि कहीं समलैंगिकता का वर्णन मिलता है।जहाँ तक रही संस्कृति कि बात तो मुझे लगता है कि बहुतों को संस्कृति शब्द का अर्थ ही नहीं मालूम और अशोकजी एवं समीरजी इस के अपवाद नहीं लगते। हाँ संस्कृति से उनका आशय यदि कल्चर से है तो वहाँ तो ब्लड़ से लेकर यूरीन तक का कल्चर होता है।समलैंगिकता जन्मजात या प्राकृतिक तो कदापि नहीं हो सकती।
विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण सहज,स्वाभाविक और प्राकृतिक होता है,यह स्वतः सिद्ध है,बहुत सारी आधुनिक विज्ञान की खोज भी यही सिद्ध करतीं है।कुत्तों बिल्लियों तथा अन्य पशुओं मे बचपनें के खिलवाड़ में कभी कभी यह दिखता है लेकिन उम्र पाकर वह भी नहीं देखा जाता।अगर यह जन्मजात और प्राकृतिक है तो विकृति या ‘परवर्जन’ क्या होता है?गृहमंत्री और स्वास्थ्यमंत्री में इस विषय पर युद्ध की स्थिति बनी हुयी है। स्वास्थ्यमंत्री रामदौस समलैगिकता के प्रबल समर्थक हैं,क्यों?

प्रस्तुतकर्ता सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ पर ११:०७ AM 5

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